तन्हाई बेहतर है किसी भीड़ मे खो जाने से...
कम से कम अपनी धड़कने तो सुनाई देती रहती हैं .....
गुरुवार, 14 फ़रवरी 2008
शुक्रवार, 8 फ़रवरी 2008
चुप रहने का राज
किसी व्यक्ति के चुप रहने के पीछे क्या राज है? सभी अपने अपने तर्क देते है। कोई कहता है कि चुप रहने वाला इंसान या तो विषय का जानकार नही है या विषय के बारे मे बहुत जनता है मतलब बहुत होशियार है। लेकिन ये दोनो ही तर्क सही नही बैठते है। अरे भाई चुप रहना भी अब गुनाह हो गया है। किसी न किसी रुप मे आकलन करने का चलन बढता ही जा रहा है और आकलन ऐसा हो रहा है कि पूछो मत साहब। किसी इंसान को चुप रहना भी भरी पड रहा है। यह कैसा समाज है भाई जहा इंसान चुप भी नही रह सकता और इतने कारण ढूँढ लिए जाते है कि मानो कोई रिसर्च का काम किया जा रहा है। बेचारा इंसान बोले तो प्रॉब्लम न बोले तो प्रॉब्लम।
गुरुवार, 24 जनवरी 2008
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